
मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने वाला बड़ा निर्णय लिया है। राज्य में मूंग और उड़द की फसल अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी जाएगी। इसके लिए पंजीयन प्रक्रिया 19 जून 2025 से शुरू की जाएगी।
किसानों को मिलेगा उनकी उपज का उचित मूल्य
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घोषणा की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि उन्होंने इस विषय में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की है और प्रदेश सरकार ने इस बारे में केंद्र को प्रस्ताव भेजा है।
सीएम ने किसानों से अपील की कि वे मूंग और उड़द का उत्पादन करने वाले किसान समय रहते पंजीयन कराएं, ताकि उन्हें MSP पर खरीदी का लाभ मिल सके।
सरकारी मूंग-उड़द खरीदी पर CM यादव का आधिकारिक बयान
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार किसानों की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयासरत है।
मध्यप्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग और उड़द के उपार्जन के लिए 19 जून से पंजीयन प्रारम्भ होगा। इस संबंध में मेरी माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री… pic.twitter.com/AziBKir1Ds
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 13, 2025
MSP और बाजार भाव में भारी अंतर
सरकार ने इस वर्ष मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹8768 प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि वर्तमान में खुले बाजार में मूंग का भाव ₹5000 से ₹5500 प्रति क्विंटल तक गिर चुका है। इस भारी अंतर के कारण किसानों को तीव्र आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
किसान बेचने को मजबूर
राज्य में अभी तक सरकारी खरीदी शुरू न होने के कारण किसानों को मजबूरन अपनी उपज कृषि मंडियों में समर्थन मूल्य से क़रीब ₹3000 कम पर बेचना पड़ रहा है। किसान संगठन और स्थानीय किसान इस स्थिति से गंभीर नाराजगी जता चुके हैं।
जगह-जगह प्रदर्शन, जल सत्याग्रह
बीते सप्ताह प्रदेशभर में किसानों ने प्रदर्शन, नारेबाजी और जल सत्याग्रह के माध्यम से अपनी नाराजगी दर्ज कराई थी। किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति एकड़ ₹7000 से ₹8000 तक की लागत आ रही है, जबकि उन्हें मंडियों में उसकी भरपाई तक नहीं मिल पा रही है।
किसान संगठनों ने चेताया था आंदोलन
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार जल्द समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं करती, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विषय में स्पष्ट नीति घोषित करनी चाहिए ताकि किसान भ्रम और चिंता की स्थिति से बाहर निकल सकें।
अब राहत की उम्मीद
सरकारी घोषणा के बाद किसानों में उम्मीद जगी है कि उन्हें अपनी मेहनत का उचित दाम मिलेगा। हालांकि अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि 19 जून से शुरू होने वाली पंजीयन प्रक्रिया कितनी सहज होगी और खरीदी प्रक्रिया कब शुरू होगी।